

७ साल कि उम्र मे ३ कक्षा मे पापा ने भरती करवा दिया था
गांव जसोल था! अपना राज चलता था सो सीधे ३ मे भरती होने मे कोई दिक्कत नही थी.वेसे गणित मे होशियार थे.सो आराम से भरती हो गये.उस वक्त खाना-पिना मौज मनाना यही जिन्दगी थी.
आराम से दिन निकल रहे थे.कोई टेन्शन नहीं थी.तब पता नहि था कि जिन्दगी मे आगे इतनी तकलीफ़ ऒर टेन्शन होंगी.हा ये भी सही हे कि भविष्य का किसको पता था और होता भी नही पता होता तो शायद हम अपनी जिन्दगी इस तरह बनाते राजा महराजा कि तरह.खेर भी अच्छे दिन थे.मजा आ रहा था.
और यही जिन्दगी मे बाकि कल
आपका जयन्थी
गांव जसोल था! अपना राज चलता था सो सीधे ३ मे भरती होने मे कोई दिक्कत नही थी.वेसे गणित मे होशियार थे.सो आराम से भरती हो गये.उस वक्त खाना-पिना मौज मनाना यही जिन्दगी थी.
आराम से दिन निकल रहे थे.कोई टेन्शन नहीं थी.तब पता नहि था कि जिन्दगी मे आगे इतनी तकलीफ़ ऒर टेन्शन होंगी.हा ये भी सही हे कि भविष्य का किसको पता था और होता भी नही पता होता तो शायद हम अपनी जिन्दगी इस तरह बनाते राजा महराजा कि तरह.खेर भी अच्छे दिन थे.मजा आ रहा था.
और यही जिन्दगी मे बाकि कल
आपका जयन्थी
अच्छे दिन बस आ ही रहे हैं समझो...शुभकामनाऐं.
दिन बुरे हैं तो समझे,अच्छे भी आएंगे ... सामान्य होते हैं तो सामान्य ही रहते हें।