
बचपन मे भी ये दिन आया था.मुझे नही मालुम मेने उस दिन क्या किया था
पर इतना पता हे की वो सब अच्छा हि दिन होगा खाना पीना खेलना लडाई करना रुठना गली मे भागना उस वक्त सब अच्छा हि लगता था.
गली मे बहुत से पालतु कुत्ते थे.उनके साथ खेलने मे मजे आते थे.
क्या जमाना था ना कोई टेन्शन ना कोई परेशानी मजा आ रहा था.
पर आज जब ये सब सोचता हू तो आज मेरी हालत देखकर दिल घबरा रहा हे ना जाने कि कल क्या होंगा.
कल का कोई पता नही. कोई भविष्य नजर नही आ रहा हे.
काश प्रभु हमे बचपन वाले दिन फ़िर भेज दे पर क्या करे जिन्दगी हे ये सब चलता रहता हे.अब आगे भगवान महावीर कि मर्जी.
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मेरी शुभकामनाएं